रसवह स्रोतस विकार
आंत्रिक ज्वर (Typhoid)
परिभाषा (Definition)
आयुर्वेद में, आंत्र ज्वर को “आंत्रगत ज्वर” या “विषम ज्वर” के नाम से जाना जाता है, जिसे आधुनिक चिकित्सा में टाइफाइड के रूप में पहचाना जाता है यह एक प्रकार का तीव्र ज्वर है जो ‘साल्मोनेला टाइफी’ नामक जीवाणु के संक्रमण से होता हैI यह मुख्य रूप से दूषित पानी और भोजन के सेवन से फैलता हैI

कारण (Causes)
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, आंत्र ज्वर के प्रमुख कारण हैं:
- अशुद्ध जल का सेवन: दूषित पानी में उपस्थित जीवाणु संक्रमण का मुख्य कारण होते हैंI
- अशुद्ध भोजन का सेवन: संक्रमित खाद्य पदार्थ जैसे अधपका भोजन या बिना धुले फल/सब्जियां भी संक्रमण का कारण बन सकते हैंI
- स्वच्छता की कमी: हाथों को ठीक से न धोना, विशेषकर शौचालय का उपयोग करने के बाद, रोग के प्रसार में योगदान कर सकता हैI
- संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आना: Typhoid से पीड़ित व्यक्ति के मल या मूत्र से दूषित पानी या खाद्य पदार्थ के सेवन से भी संक्रमण हो सकता हैI
सम्प्राप्ति (Pathogenesis)
आयुर्वेद में, विषम ज्वर की सम्प्राप्ति त्रिदोषों (वात, पित्त और कफ) के असंतुलन से जुड़ी हैI जब शरीर में दोष असंतुलित होते हैं और व्यक्ति अशुद्ध जल या भोजन का सेवन करता है, तो ‘अग्नि’ मंद हो जाती है, जिससे ‘आम’ (विषाक्त पदार्थ) का संचय होता हैI यह आम रसों (धातुओं) में प्रवेश कर ज्वर का कारण बनता है, और आंतों में इसका प्रभाव विशेष रूप से आंत्र ज्वर का कारण बनता हैI

लक्षण (Symptoms)
आंत्र ज्वर के प्रमुख लक्षण हैं:
- तेज बुखार: लगातार तेज बुखार (103°F से 104°F) रहना इस रोग का एक प्रमुख लक्षण हैI
- पेट दर्द: पेट में दर्द और भारीपन का अनुभवI
- उल्टी और दस्त: उल्टी और दस्त की समस्या होनाI
- भूख न लगना: खाने की इच्छा में कमीI
- थकान और कमजोरी: शरीर में अत्यधिक थकान और कमजोरी का अनुभव होनाI
- सिरदर्द: सिर में दर्द की समस्याI
- गुलाबी धब्बे: कुछ मामलों में छाती और पेट पर गुलाबी रंग के छोटे धब्बे (rash) दिखाई दे सकते हैंI
गंभीर मामलों में: बढ़ी हुई प्लीहा और यकृत, मल में रक्त, भ्रम और परिवर्तित मानसिक स्थिति भी हो सकती हैI
निदान (Diagnosis)
आयुर्वेद में, ज्वर का निदान व्यक्ति के लक्षणों, नाड़ी परीक्षण (pulse examination), मल परीक्षण (stool examination), और समग्र शारीरिक परीक्षण (physical examination) के आधार पर किया जाता हैI आधुनिक चिकित्सा में, रक्त परीक्षण (जैसे विडाल टेस्ट) और मल/मूत्र परीक्षण से निदान की पुष्टि की जाती हैI
आयुर्वेदिक सुझाव (Ayurvedic Tips)
Typhoid के इलाज के लिए आयुर्वेदिक सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- हर्बल उपचार: बिल्वफल, जटामांसी, हरीतकी, गुडूची जैसी जड़ी-बूटियाँ लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैंI
- काढ़ा: तुलसी, काली मिर्च, अदरक, पुदीना, लौंग जैसे पदार्थों का काढ़ा बनाकर पीना लाभकारी हो सकता हैI
- शहद: शहद का सेवन संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता हैI
- आहार: हल्का और सुपाच्य भोजन लें, जैसे खिचड़ी, दलिया, सूप, आदिI खूब पानी और तरल पदार्थ का सेवन करें ताकि शरीर में जल की कमी न होI
- स्वच्छता: हाथों को नियमित रूप से धोना और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण हैI
- आराम: पर्याप्त आराम करें ताकि शरीर को ठीक होने में मदद मिल सकेI

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- क्या आंत्र ज्वर छूने से फैलता है?
Typhoid सीधे छूने से नहीं फैलता है, बल्कि संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित पानी या खाद्य पदार्थ के सेवन से फैलता हैI
- क्या टाइफाइड का टीका उपलब्ध है?
हां, टाइफाइड से बचाव के लिए एक टीका (Typhoid vaccine) उपलब्ध है, जो विशेष रूप से उन क्षेत्रों में यात्रा करने वालों के लिए फायदेमंद है जहां टाइफाइड आम हैI
- टाइफाइड से बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
साफ पानी का सेवन, स्वच्छता बनाए रखना, खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद हाथ धोना, और दूषित भोजन से बचना Typhoid से बचाव के प्रमुख उपाय हैंI
अस्वीकरण (Disclaimer)
- यह जानकारी आयुर्वेद के ग्रंथों व पत्रपत्रिकाओं पर आधारित है व केवल शैक्षिक उद्देश्यों व जनजागरूकता के लिए है। किसी भी रोग के निदान और उपचार के लिए कृपया एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। आप drdixitayurved.com या मोबाईल नंबर 9079923020 पर ऑनलाइन अनुभवी सलाह व परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।