रसवह स्रोतस विकार
ज्वर (fever)
परिभाषा (Definition)
जब शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाए तो उस दशा को ज्वर या बुखार कहते हैंI आयुर्वेद के अनुसार, यह कोई रोग नहीं बल्कि एक लक्षण है जो शरीर में दोषों (वात, पित्त, कफ) के असंतुलन को दर्शाता हैI ज्वर शरीर की अग्नि (पाचन अग्नि) में असंतुलन और उसके परिणामस्वरूप दोष के कारण होता हैI

कारण (Causes)
- दोषाग्नि वैषम्य: मुख्य रूप से पेट के अंदर अग्नि (पाचन अग्नि) में असंतुलन और उसके परिणामस्वरूप दोषों (विशेषकर पित्त) का प्रकोप ज्वर का कारण बनता हैI
- बाहरी कारक: संक्रामक रोग (बैक्टीरिया, वायरस) और चोट जैसे बाहरी कारक भी ज्वर का कारण बन सकते हैंI
- आंतरिक कारक: अनुचित आहार और जीवनशैली भी ज्वर के आंतरिक कारणों में शामिल हैंI
सम्प्राप्ति (Pathogenesis)
- अग्नि में असंतुलन से आम का निर्माण होता हैI
- यह आम चैनलों में रुकावट पैदा करता है, जिससे पाचन अग्नि की गर्मी त्वचा तक पहुंच जाती है, जिससे शरीर का तापमान बढ़ जाता हैI
- दोषों के प्रकोप से पसीना कम हो जाता है या पूरी तरह बंद हो जाता है, जिससे गर्मी शरीर के अंदर बनी रहती हैI
- आयुर्वेद में ज्वर को दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: शारीरिक ज्वर और मानसिक ज्वरI
- शारीरिक ज्वर पहले शरीर पर प्रकट होता है और बाद में मन को प्रभावित कर सकता हैI
- मानसिक ज्वर पहले मानसिक स्तर पर प्रकट होता है और बाद में शरीर को प्रभावित कर सकता हैI

लक्षण (Symptoms)
- शरीर का तापमान बढ़ना
- प्यास, जलन और बेचैनी
- तंद्रा (नींद और सुस्ती)
- शरीर में दर्द और मांसपेशियों में दर्द
- सिरदर्द
- थकान
- भूख न लगना
निदान (Diagnosis)
आयुर्वेद में ज्वर (Fever) का निदान दोषों की प्रबलता और दुर्बलता, समय, और लक्षणों के आधार पर किया जाता हैI
आयुर्वेदिक सुझाव (Ayurvedic Tips)
- ज्वरनाशक वटी या क्वाथ: आयुर्वेदिक औषधियों जैसे ज्वरनाशक वटी या क्वाथ का सेवन करेंI
- गिलोय घनवटी: सुबह, दोपहर और शाम 1-1 गोली गिलोय घनवटी का सेवन करेंI
- जीरा, धनिया, सौंफ: जीरा, धनिया, सौंफ को रात में भिगोकर सुबह इस पानी में गिलोय, एलोवेरा का रस मिलाकर पी लेंI
- कफ ज्वर: कफ बढ़ने के कारण होने वाले बुखार में सरसों का तेल नाक में डालें और शीतली, शीतकारी प्राणायाम करेंI
- पित्त ज्वर: पित्त बढ़ने के कारण होने वाले बुखार में अनार, जौ, बेल का सेवन करें और शीतली, शीतकारी प्राणायाम करेंI
- वात ज्वर: वात ज्वर के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें और गिलोय का सेवन करेंI
- हल्दी और सूखी अदरक: गर्म दूध में हल्दी और सूखी अदरक का पाउडर मिलाकर पिएंI
- तुलसी और लौंग: तुलसी के पत्तों और लौंग को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिएंI

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- क्या बुखार [ ज्वर (Fever) ] एक बीमारी है?
बुखार स्वयं एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह शरीर में असंतुलन या संक्रमण का संकेत हैI - आयुर्वेद में बुखार [ ज्वर (Fever) ] के कितने प्रकार हैं?
आयुर्वेद में ज्वर को दोषों के आधार पर वातज, पित्तज, कफज और सन्निपातज ज्वर में वर्गीकृत किया गया हैI - आयुर्वेद में बुखार [ ज्वर (Fever) ] का इलाज कैसे किया जाता है?
आयुर्वेद में बुखार का इलाज दोषों को संतुलित करने, अग्नि को मजबूत करने और आम को पचाने पर केंद्रित होता हैI
अस्वीकरण (Disclaimer)
- यह जानकारी आयुर्वेद के ग्रंथों व पत्रपत्रिकाओं पर आधारित है व केवल शैक्षिक उद्देश्यों व जनजागरूकता के लिए है। किसी भी रोग के निदान और उपचार के लिए कृपया एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। आप drdixitayurved.com या मोबाईल नंबर 9079923020 पर ऑनलाइन अनुभवी सलाह व परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।