रसवह स्रोतस विकार
दंडक ज्वर (Dengue Fever)
परिभाषा (Definition)
आयुर्वेद में डेंगू बुखार को “दंडक ज्वर” या “विषम ज्वर” के नाम से जाना जाता हैI यह एक प्रकार का मौसमी बुखार है जो एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता हैI इसे “हड्डी तोड़ बुखार” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसमें इतना अधिक दर्द होता है जैसे हड्डियां टूट गई होंI

कारण (Causes)
- आयुर्वेद के अनुसार, डेंगू बुखार को वात-पित्त ज्वर के रूप में भी देखा जा सकता है, जिसमें वात और पित्त दोषों का असंतुलन होता हैI यह असंतुलन वात और पित्त के लक्षणों को दर्शाता है, जैसे तेज बुखार, शरीर में दर्द, जोड़ों का दर्द, सिरदर्द, मतली और जलनI
सम्प्राप्ति (Pathogenesis)
- संक्रमित मच्छर के काटने से डेंगू वायरस शरीर में प्रवेश करता हैI
- शरीर में वात और पित्त दोष असंतुलित हो जाते हैंI
- रोग के बढ़ने पर, रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और उनमें रिसाव हो सकता है, जिससे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैंI
- कुछ गंभीर मामलों में, डेंगू रक्तस्रावी बुखार (Dengue Hemorrhagic Fever) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome) विकसित हो सकता है, जो घातक हो सकता हैI
लक्षण (Symptoms)
डेंगू के लक्षणों में अचानक तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, सूजी हुई लिम्फ ग्रंथियां, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, त्वचा पर लाल चकत्ते और हल्का रक्तस्राव शामिल हैंI गंभीर मामलों में रक्तस्राव और सदमा भी हो सकता हैI
निदान (Diagnosis)
Dengue के निदान के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है, जैसे डी-डाइमर, फाइब्रिनोजेन परीक्षण और फाइब्रिन डिग्रेडेशन उत्पाद (FDP) रक्त परीक्षणI ये परीक्षण रक्त में विशिष्ट स्तरों की जांच करते हैं जो डेंगू संक्रमण के संकेत दे सकते हैंI
आयुर्वेदिक सुझाव (Ayurvedic Tips)
Dengue के लिए कुछ आयुर्वेदिक सुझावों में पपीते के पत्ते का रस (प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए), नीम का रस (वायरस को रोकने के लिए), नारियल पानी (निर्जलीकरण से बचने के लिए), हल्दी (एंटीबायोटिक गुणों के कारण), अनार (ऊर्जा और हीमोग्लोबिन के लिए), संतरा (विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट के लिए), पालक (आयरन और प्लेटलेट्स के लिए), और चंदन और गुलाब जल का पेस्ट (चकत्तों से राहत के लिए) शामिल हैंI

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
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Dengue में कौन सा फल और सब्जी खानी चाहिए?
अनार, संतरा और पालक फायदेमंद होते हैंI
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आयुर्वेदिक उपचार कब तक प्रभावी होता है?
प्रभाव व्यक्तिगत रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है, लेकिन कुछ मामलों में 2-3 दिनों में सुधार देखा गया हैI
अस्वीकरण (Disclaimer)
- यह जानकारी आयुर्वेद के ग्रंथों व पत्रपत्रिकाओं पर आधारित है व केवल शैक्षिक उद्देश्यों व जनजागरूकता के लिए है। किसी भी रोग के निदान और उपचार के लिए कृपया एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। आप drdixitayurved.com या मोबाईल नंबर 9079923020 पर ऑनलाइन अनुभवी सलाह व परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।