उदकवह व स्वेदवह स्रोतस विकार  :

पाद तल दाह (Burning Feet Syndrome)

परिभाषा (Definition)

पाद तल दाह, जिसे “बर्निंग फीट सिंड्रोम” के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें पैरों और कभी-कभी निचले छोरों में जलन और भारीपन का अनुभव होता है I  यह एक सामान्य विकार है जो अक्सर लोगों द्वारा अनुभव किया जाता है I  आयुर्वेद में पाद तल दाह को “पाददाह” के रूप में वर्णित किया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है पैरों में जलन I  

पाद तल दाह (Burning Feet Syndrome)
  • कारण (Causes)

आयुर्वेद के अनुसार, पाद तल दाह में पित्त और रक्त की संगति से वात दोष बढ़ जाता है, जो अत्यधिक चलने के कारण होता है I आधुनिक विज्ञान के अनुसार, बर्निंग फीट सिंड्रोम के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं: 

    • विटामिन की कमी: विशेष रूप से विटामिन बी की कमी I
    • तंत्रिका क्षति (पेरिफेरल न्यूरोपैथी): मधुमेह, शराब का अत्यधिक सेवन, कुछ विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना, और एचआईवी रोग जैसे कई कारणों से तंत्रिका क्षति हो सकती है I
    • थकान: अत्यधिक शारीरिक श्रम के कारण पैरों में जलन हो सकती है I
    • त्वचा रोग या संक्रमण: एथलीट फुट जैसे फंगल संक्रमण I
    • खराब फिटिंग वाले जूते: बहुत कसे हुए या असहज जूते I  
  • सम्प्राप्ति (Pathogenesis)

आयुर्वेद में रोग की संप्राप्ति, यानी रोग के विकास और प्रगति को समझने के लिए विभिन्न स्तरों पर विचार किया जाता है I  पाद तल दाह की संप्राप्ति में वात और पित्त दोष का असंतुलन और दूष्य रक्त और त्वचा का प्रभावित होना शामिल है I  

  • लक्षण (Symptoms)

पाद तल दाह के मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • पैरों में जलन और भारीपन I
  • पैरों में पसीना आना I
  • कुछ मामलों में मांसपेशियों में कमजोरी और ऐंठन भी देखी जा सकती है I  
  • निदान (Diagnosis)

आयुर्वेद में निदान में रोगी के दोष, दूष्य, अग्नि और अन्य शारीरिक कारकों का मूल्यांकन किया जाता है I  आधुनिक चिकित्सा में, निदान में रोगी के चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण और अन्य परीक्षण जैसे रक्त परीक्षण या तंत्रिका चालन अध्ययन शामिल हो सकते हैं I  

  • आयुर्वेदिक सुझाव (Ayurvedic Tips)

आयुर्वेद में पाद तल दाह के उपचार में दोषों को संतुलित करने और रक्त और त्वचा को शुद्ध करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है I  कुछ आयुर्वेदिक उपाय और उपचार में शामिल हैं: 

    • सिरवेध (नसों से रक्त निकालना): कुछ मामलों में सिरवेध चिकित्सा का उपयोग किया जाता है I
    • चंदन का तेल: जलन को शांत करने और सूजन को कम करने के लिए चंदन का तेल शरीर पर लगाया जा सकता है I
    • पिंडा थाईलम: यह तेल गाउट के दर्द और जलन को शांत करने में मदद करता है I
    • वातारि चूर्ण, योगराज गुग्गुलू, पीड़ांतक वटी और चंद्रप्रभा वटी: इन आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग दर्द और सूजन को कम करने के लिए किया जा सकता है I
    • तेल मालिश (अभ्यंग): पैरों की तेल मालिश रक्त संचार को बेहतर बनाने और वात दोष को शांत करने में मदद करती है I
    • सिकाई: गर्म कपड़े या भाप से पैरों की सिकाई करने से दर्द में राहत मिल सकती है I  
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
पाद तल दाह क्या है? 
  • पैरों में जलन और भारीपन की भावना I
पाद तल दाह के क्या कारण हैं? 
  • आयुर्वेद के अनुसार पित्त और रक्त की वृद्धि, अत्यधिक चलना, वात दोष का असंतुलन I  आधुनिक विज्ञान के अनुसार विटामिन की कमी, तंत्रिका क्षति, थकान, आदि I
पाद तल दाह का आयुर्वेदिक उपचार क्या है? 
  • सिरवेध, चंदन का तेल, पिंडा थाईलम, आयुर्वेदिक दवाएं, तेल मालिश, सिकाई I
पाद तल दाह में क्या खाना चाहिए? 
  • उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ, मेवे, हरी सब्जियां, वनस्पति आधारित प्रोटीन I
पाद तल दाह में क्या नहीं खाना चाहिए?
  •  मीठे खाद्य पदार्थ, परिष्कृत अनाज, ट्रांस वसा, तला हुआ भोजन, मसालेदार भोजन I  
  • अस्वीकरण (Disclaimer)
  • यह जानकारी आयुर्वेद के ग्रंथों व पत्रपत्रिकाओं पर आधारित है व केवल शैक्षिक उद्देश्यों व जनजागरूकता के लिए है। किसी भी रोग के निदान और उपचार के लिए कृपया एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। आप drdixitayurved.com या मोबाईल नंबर 9079923020 पर ऑनलाइन अनुभवी सलाह व परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।
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