Personal-care

शिशिर ऋतु

परिचय (Introduction)

शिशिर ऋतु यानी कि सर्दी का अंतिम भाग – जब ठंडी हवाएं तेज होती हैं, वातावरण में रूखापन बढ़ जाता है और शरीर व त्वचा दोनों पर इसका सीधा प्रभाव दिखता है। यह समय होता है personal care पर विशेष ध्यान देने का, क्योंकि इस मौसम में शरीर के doshas और moisture barrier दोनों असंतुलित हो जाते हैं। सही ऋतुचर्या अपनाकर इस ठंड में भी आप अपने शरीर, बाल, त्वचा और मन को स्वस्थ और सुंदर बनाए रख सकते हैं।

शिशिर ऋतु

समस्या की पहचान (Identify the Concern)

शिशिर ऋतु में सामान्य रूप से होने वाली समस्याएं:

  • त्वचा में अत्यधिक ड्रायनेस
  • होंठों का फटना
  • बालों में डेंड्रफ और दोमुंहे बाल
  • जोड़ों में अकड़न और शरीर में सुस्ती
  • हाथ-पैरों की स्किन फट जाना
  • नाखून कमजोर और टूटने लगना

यह सभी समस्याएं ठंडी हवा, कम humidity, और vata dosha के प्रकोप के कारण होती हैं।

मुख्य कारण (Main Causes)

  • वातावरण का अत्यधिक शुष्क और ठंडा होना
  • कम पसीना आना जिससे toxins बाहर नहीं निकलते
  • Sweat glands और sebaceous glands की activity में कमी
  • अधिक गर्म पानी का इस्तेमाल
  • शरीर में तेल की कमी
  • पोषणहीन आहार और कम जल सेवन

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (Ayurvedic Perspective)

आयुर्वेद के अनुसार शिशिर ऋतु में वात दोष अत्यधिक सक्रिय होता है। यह त्वचा को रूखा, बालों को बेजान, और शरीर को कठोर बना सकता है। इस ऋतु में स्निग्ध (तेलयुक्त), ऊष्ण (गर्म) और पोषक चीज़ों का सेवन और उपयोग करना ही समाधान है।

ऋतुचर्या में बताई गई बातें:

  • अभ्यंग (तेल मालिश) प्रतिदिन
  • उष्ण जल से स्नान
  • घी और तिल का सेवन
  • ऊनी वस्त्र पहनना
  • गरम जल और मधुर, अम्ल, लवण रस का उपयोग

आधुनिक दृष्टिकोण (Modern View or Scientific Approach)

  • शिशिर ऋतु में skin barrier कमजोर हो जाता है और cold air त्वचा की नमी खींच लेती है।

    • Transepidermal Water Loss (TEWL) बढ़ जाता है
    • त्वचा की lipid layer क्षीण होती है
    • अधिक गरम पानी natural oils को धो देता है
    • सर्द हवा से capillary circulation धीमा हो जाता है

    इसलिए इस मौसम में moisture retention और gentle cleansing ज़रूरी हो जाता है।

घरेलू उपाय (Home Remedies)

  • त्वचा के लिए:
    तिल के तेल की मालिश, दूध और बेसन का उबटन, गुलाबजल और एलोवेरा जेल
  • बालों के लिए:
    आंवला, ब्राह्मी और नारियल तेल की मालिश, हफ्ते में एक बार शीकाकाई व रीठा धोना
  • होंठों के लिए:
    घी या नारियल तेल से मसाज, शहद + चुकंदर रस लगाएं
  • हाथ-पैर:
    रात्रि में तिल के तेल की मालिश, सरसों तेल में नमक डालकर पैरों की सफाई

(नोट: किसी भी घरेलू उपाय को कान के अंदर डालने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें)

डेली रूटीन (Daily Care Routine)

  • प्रातः स्नान से पूर्व अभ्यंगम (तेल मालिश) करें
  • हल्के गर्म जल से स्नान करें
  • नहाने के बाद cold cream या shea butter moisturizer लगाएं
  • दिन में एक बार नाक में अनुतैल या गाय के घी की दो बूँदें डालें
  • दिनभर गर्म जल, सूप या हर्बल चाय का सेवन करें
  • सूर्य नमस्कार से दिन की शुरुआत करें

क्या करें और क्या न करें (Dos and Don’ts)

  • Do’s:
    ✔ तिल का तेल या घी रोजाना इस्तेमाल करें
    ✔ गरम, पौष्टिक, स्निग्ध आहार लें
    ✔ त्वचा को ढककर रखें
    ✔ ऊनी वस्त्र पहनें और ठंडी हवा से बचें

    Don’ts:
    ✘ बार-बार फेस वॉश न करें
    ✘ बहुत गर्म पानी से न नहाएं
    ✘ शरीर को सूखा न छोड़ें – तुरंत moisturize करें
    ✘ रात्रि में बाल गीले न रखें

संतुलित खानपान (Balanced Diet Tips)

    • तिल, मूंगफली, सूखे मेवे
    • घी युक्त खिचड़ी, रागी, बाजरा
    • गुड़, अदरक, लहसुन
    • गर्म सूप, हर्बल काढ़ा
    • दूध में हल्दी, अश्वगंधा

      शिशिर ऋतु में अग्नि (digestive fire) प्रबल होता है, इसलिए पौष्टिक भोजन पच जाता है:

    • Vitamin A, E और healthy fats का सेवन त्वचा और बालों के लिए जरूरी होता है।

योग और प्राणायाम (Yoga & Pranayama)

  • सूर्य नमस्कार: ऊष्मा और रक्तसंचार के लिए
  • भस्त्रिका प्राणायाम: ऊर्जा और श्वसन शक्ति के लिए
  • त्रिकोणासन: शरीर में जकड़न दूर करने के लिए
  • मार्जरी आसन (Cat-Cow Pose): रीढ़ और शरीर को लचीला रखने के लिए

निष्कर्ष (Conclusion)

शिशिर ऋतु में शरीर और त्वचा दोनों विशेष देखभाल मांगते हैं। यह समय है अपने personal care को गहराई से समझने और बदलते मौसम के अनुसार ढालने का। आयुर्वेदिक ऋतुचर्या और आधुनिक skincare science को मिलाकर अगर सही दिनचर्या अपनाई जाए, तो यह मौसम आपकी त्वचा, बाल, और स्वास्थ्य को भीतर से संवार सकता है।

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