उदकवह व स्वेदवह स्रोतस विकार  :

स्वेद हानि  (hypohidrosis)

परिभाषा (Definition)

आयुर्वेद में, पसीना (स्वेद) शरीर का एक महत्वपूर्ण मल (अपशिष्ट उत्पाद) माना जाता है, जिसका उचित निष्कासन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक हैI  पसीने के चैनलों में दोष या अवरोध (स्वेदवहस्रोतसदुष्टि) के कारण पसीने में कमी या अनुपस्थिति (अस्वेद या स्वेद हानि) को आयुर्वेद में एक अस्वास्थ्यकर स्थिति माना जाता हैI 

स्वेद हानि  (hypohidrosis)
  • कारण (Causes)
  • मेधा धातु का क्षय (Medha Dhatu Depletion): आयुर्वेद के अनुसार, पसीना मेधा धातु (वसा ऊतक) का उप-उत्पाद हैI इसलिए, मेधा धातु के क्षय से पसीने का उत्पादन कम हो सकता हैI
  • वात दोष की वृद्धि (Vata Dosha Aggravation): वात दोष में वृद्धि भी पसीने के चैनलों को संकुचित कर सकती है और पसीने के उत्पादन में बाधा डाल सकती हैI
  • ठंडा वातावरण (Cold Environment): ठंडे वातावरण में शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया के रूप में पसीना कम आता हैI
  • अत्यधिक रूखे या कसैले पदार्थों का सेवन (Excessive intake of dry or astringent substances): कुछ आयुर्वेदिक ग्रंथों में अत्यधिक रूखे और कसैले पदार्थों के सेवन को भी पसीने में कमी का कारण बताया गया हैI 
  • सम्प्राप्ति (Pathogenesis)
  • स्वेद हानि  (hypohidrosis)  की सम्प्राप्ति (पैथोजेनेसिस) निम्नलिखित चरणों में होती है: 

    1. निदान सेवन (Exposure to causative factors): उपरोक्त कारणों जैसे मेधा धातु क्षय, वात वृद्धि, ठंडा वातावरण या कुछ पदार्थों का सेवनI
    2. स्वेदवहस्रोतसदुष्टि (Vitiation of sweat channels): इन कारणों से शरीर के पसीना ले जाने वाले चैनल (स्वेदवहस्रोतस) दूषित या अवरुद्ध हो जाते हैंI
    3. पसीना उत्पादन में कमी (Reduced sweat production): इसके परिणामस्वरूप पसीने का उत्पादन कम हो जाता है या बिल्कुल रुक जाता हैI
  • लक्षण (Symptoms)

पसीने में कमी के शरीर में गर्मी का जमाव, त्वचा का रूखापन, खुजली और अन्य संबंधित लक्षण दिखाई देते हैंI  प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं: 

  • त्वचा का रूखापन (Dryness of skin)
  • त्वचा में दरारें (Cracking of skin)
  • स्पर्श संवेदना में कमी (Altered tactile sensation)
  • शरीर के बालों का झड़ना (Falling of body hair)
  • सामान्यीकृत जलन की भावना (Generalized burning sensation)
  • रोमांच (Horripilation) 
  • निदान (Diagnosis)

स्वेद हानि  (hypohidrosis) का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है: 

  • शारीरिक परीक्षण (Physical Examination): त्वचा के रूखेपन, दरारें और बालों के झड़ने का निरीक्षणI
  • रोगी की शिकायतें (Patient’s complaints): रोगी द्वारा पसीना न आने, जलन और अन्य संबंधित लक्षणों का उल्लेखI
  • कारणों का विश्लेषण (Analysis of causative factors): रोगी के आहार, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों का विश्लेषण, जो पसीने में कमी का कारण बन सकते हैंI 
  • आयुर्वेदिक सुझाव (Ayurvedic Tips)

आयुर्वेदिक उपचार स्वेद हानि  (hypohidrosis) के अंतर्निहित कारणों को दूर करने और पसीने के चैनलों को खोलने पर केंद्रित है: 

  • तेल मालिश (Abhyanga): गर्म तेल से मालिश, विशेष रूप से तिल के तेल से, त्वचा को नमी प्रदान कर सकती है और पसीना चैनलों को खोल सकती हैI
  • स्वेदन (Fomentation): स्वेदन या पसीना लाने वाली चिकित्सा (जैसे स्टीम बाथ) पसीने के चैनलों को खोलने और पसीने को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैI
  • आहार में परिवर्तन (Dietary Changes): पित्त को शांत करने वाले खाद्य पदार्थ, जैसे कि घी, दूध और ठंडे तरल पदार्थों का सेवनI
  • जीवन शैली में परिवर्तन (Lifestyle Changes): तनाव और चिंता कम करने के लिए योग, ध्यान और प्राणायामI
  • आयुर्वेदिक औषधियां (Ayurvedic Herbs): अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुल्तानी मिट्टी, चंदन और गुलाब जल जैसे जड़ी बूटी और लेप का उपयोगI 
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
पसीने में कमी के प्रमुख कारण क्या हैं?
    • मेधा धातु का क्षय, वात दोष की वृद्धि और ठंडा वातावरणI
क्या पसीने में कमी एक गंभीर स्थिति है?
    • यह शरीर के तापमान विनियमन और विषाक्त पदार्थों को हटाने में बाधा डाल सकती हैI
पसीने में कमी के लिए आयुर्वेदिक उपचार कैसे काम करते हैं?
    • वे पसीने के चैनलों को खोलते हैं, दोषों को शांत करते हैं और शरीर की प्राकृतिक कार्यप्रणाली को बहाल करते हैंI 
  • अस्वीकरण (Disclaimer)
  • यह जानकारी आयुर्वेद के ग्रंथों व पत्रपत्रिकाओं पर आधारित है व केवल शैक्षिक उद्देश्यों व जनजागरूकता के लिए है। किसी भी रोग के निदान और उपचार के लिए कृपया एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। आप drdixitayurved.com या मोबाईल नंबर 9079923020 पर ऑनलाइन अनुभवी सलाह व परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।
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