Skin Care में ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान: कहीं आप स्किन की सुरक्षा दीवार तो नहीं तोड़ रहे?
आज के समय में स्किन केयर एक ट्रेंड बन चुका है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ज़रूरत से ज़्यादा त्वचा की देखभाल भी नुकसानदायक हो सकती है? हाल ही में एक अखबार में छपा लेख इस ओर इशारा करता है कि बार-बार स्किन पर साबुन और सुगंधित उत्पादों का इस्तेमाल करने से त्वचा की प्राकृतिक सुरक्षा दीवार (Skin Barrier) कमजोर हो रही है। [ Skin Care ]
त्वचा का असली कार्य क्या है?
अधिकतर लोग त्वचा को केवल सौंदर्य के दृष्टिकोण से देखते हैं, जबकि त्वचा हमारे शरीर की पहली रक्षा पंक्ति होती है। यह हमें:
- सूक्ष्म जीवाणुओं (Microbes)
- हानिकारक रसायनों (Chemicals)
- विकिरण (Radiation)
- और बाहरी चोटों से बचाती है।
यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करती है, विटामिन D का निर्माण करती है और स्पर्श के माध्यम से सुख-दुख की अनुभूति कराती है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से त्वचा
आयुर्वेद में त्वचा को ‘स्पर्शने इंद्रिय’ कहा गया है, जो वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। अगर इस इंद्रिय में विकृति होती है, तो यह सीधे वायु दोष को प्रभावित करती है। वायु के पांच प्रकार होते हैं:
- प्राण वायु – श्वास-प्रश्वास के लिए
- उदान वायु – वाणी और ऊर्जा के लिए
- समान वायु – पाचन क्रिया के लिए
- व्यान वायु – संचारण और चेष्टाओं के लिए
- अपान वायु – मल, मूत्र, गर्भ आदि के निष्क्रमण के लिए
त्वचा की गड़बड़ी से ये सभी वायु प्रभावित हो सकती हैं।
आधुनिक और आयुर्वेदिक त्वचा संरचना
आयुर्वेद के अनुसार त्वचा की 7 परतें होती हैं:
- अवभासिनी
- लोहिता
- श्वेता
- ताम्र
- वेदिनी
- रोहिणी
- मांसधारा
आधुनिक विज्ञान के अनुसार त्वचा की 3 परतें हैं:
- एपिडर्मिस (Epidermis)
- डर्मिस (Dermis)
- हाइपोडर्मिस (Hypodermis)
अधिक देखभाल से कैसे बिगड़ती है त्वचा?
आज के सौंदर्य प्रसाधन जैसे:
- हार्श साबुन
- सुगंधित बॉडी लोशन
- केमिकल युक्त फेस वॉश
- हाइड्रेटिंग सीरम्स
इनमें मौजूद SLS (Sodium Lauryl Sulfate) जैसे रसायन त्वचा के प्राकृतिक तेलों (Natural Lipids) को हटा देते हैं, जिससे त्वचा रूखी, संवेदनशील और रोगप्रवण हो जाती है।
इसके अतिरिक्त, केमिकल्स त्वचा के Filaggrin प्रोटीन को कम करते हैं, जो Hydration बनाए रखने और UV किरणों से रक्षा करने में सहायक होता है। [ Skin Care ]
त्वचा संबंधी सामान्य समस्याएं:
- ड्राइनेस (Dryness)
- खुजली, जलन
- एलर्जी और डर्मेटाइटिस
- पिग्मेंटेशन
- सोरायसिस, दाद, खाज
- स्किन कैंसर (Carcinoma)
समाधान: आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे अपनाएं
1. अभ्यंग (तेल मालिश)
- आयुर्वेद में अभ्यंग को वातशामक क्रिया माना गया है।
- यह त्वचा को पोषण, चिकनाई और सुरक्षा देता है।
- सरसों, तिल, नारियल और जैतून के तेल का प्रयोग करें।
- इससे नींद अच्छी आती है, तनाव कम होता है और त्वचा में चमक आती है।
2. स्वेदन (Steam Therapy)
- स्टीम बाथ या हल्के गर्म पानी में नमक डालकर स्नान करें।
- यह त्वचा की सफाई करता है और रोमछिद्रों को खोलता है।
3. उबटन और लेप
- बेसन, हल्दी, चंदन, गुलाब की पंखुड़ियां, शहद आदि का प्रयोग करें।
- साबुन का कम प्रयोग करें और हफ्ते में 1-2 बार उबटन लगाएं।
4. घरेलू नुस्खे
- नींबू: एक्सफोलिएशन के लिए
- शहद: मॉइस्चराइजिंग के लिए
- हल्दी: एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी
- एलोवेरा: ठंडक और हाइड्रेशन के लिए
सुझाव ( Skin Care ):
- त्वचा को रोज़ाना साफ करें लेकिन हार्श केमिकल्स से बचें।
- प्राकृतिक तेलों से मसाज करें।
- सप्ताह में एक बार उबटन या लेप लगाएं।
- संतुलित आहार और नींद लें।
अगर आप इस विषय में और जानकारी चाहते हैं या आयुर्वेदिक सलाह लेना चाहते हैं, तो कमेंट करें या हमारे संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से जुड़ें।
त्वचा को सुंदर बनाने के चक्कर में उसकी प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली को नुकसान न पहुंचाएं। ज़रूरत से ज़्यादा स्किन केयर, खासकर केमिकल युक्त उत्पादों से, फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार जीवन जीने से त्वचा प्राकृतिक रूप से स्वस्थ, चमकदार और रोगमुक्त बनी रहती है।