Personal-care
EAR CARE
परिचय (Introduction)
कान केवल सुनने का माध्यम नहीं, बल्कि शरीर का संतुलन बनाए रखने वाला एक संवेदनशील अंग भी है। मोबाइल फोन, तेज़ म्यूज़िक, प्रदूषण और कान की सफाई को लेकर लापरवाही के कारण आजकल Ear infections, hearing loss और tinnitus जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं। Ear care को नियमित personal hygiene में शामिल करना बेहद जरूरी है।

समस्या की पहचान (Identify the Concern)
Ear care की उपेक्षा से ये समस्याएँ हो सकती हैं:
- Earwax blockage (कानों में मैल जमा होना)
- Tinnitus (कानों में सीटी बजना)
- Ear infections (संक्रमण)
- Hearing loss (कम सुनाई देना)
- Itching या दर्द
- Fungal infection due to moisture

मुख्य कारण (Main Causes)
- कान में बार-बार उंगली या रूई डालना
- तेज आवाज़ में लगातार music सुनना
- मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग
- Swimming के बाद कान सुखा कर न रखना
- Allergies या सर्दी-जुकाम के चलते infection
- कानों को लगातार ढक कर रखना (जैसे हेवी हेडफोन)
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (Ayurvedic Perspective)
- आयुर्वेद में “कर्णपूरण” और “नस्य” को कानों की देखभाल में महत्वपूर्ण माना गया है।
- Bala taila, Nirgundi taila या Bilva taila से कर्णपूरण (ear oiling) करें
- दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करने से शरीर की वात संबंधी समस्याएँ कम होती हैं
- नस्य क्रिया से कान, नाक और गले के क्षेत्र की सफाई और पोषण होता है
- वातदोष वृद्धि को कर्ण रोग का कारण माना गया है, इसलिए वात शमन आहार अपनाएं

आधुनिक दृष्टिकोण (Modern View or Scientific Approach)
- Excessive cotton bud usage से कान की skin को नुकसान हो सकता है
- Wax खुद शरीर द्वारा self-cleaning प्रक्रिया से निकल जाता है
- Over-cleaning से संक्रमण का खतरा बढ़ता है
- Ear drops का उपयोग डॉक्टर की सलाह से करें
- Noise pollution से बचाव के लिए noise-canceling headphones का प्रयोग करें
- Wet ears को तुरंत सुखाना infection से बचाता है
घरेलू उपाय (Home Remedies)
- गरम तिल का तेल – कुछ बूँदें कान में डालने से dryness कम होती है
- लहसुन का तेल – infection और दर्द में लाभदायक
- नारियल तेल + कपूर – fungal infection में उपयोगी (सिर्फ बाहरी उपयोग)
- प्याज का रस – हल्के दर्द और जलन में सहायक
- नमक से भरी गर्म पोटली – सूजन या दर्द में सेंक के लिए प्रयोग करें
(नोट: किसी भी घरेलू उपाय को कान के अंदर डालने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें)

डेली रूटीन (Daily Care Routine)
- नहाने के बाद कानों को साफ और सूखा रखें
- बिना डॉक्टर की सलाह के कान में कुछ भी न डालें
- हफ्ते में 1 बार कान के बाहरी हिस्से को गीले कपड़े से साफ करें
- तेज आवाज़ में music सुनने से बचें
- कान में खुजली या दर्द होने पर तुरंत जांच करवाएं
क्या करें और क्या न करें (Dos and Don’ts)
Do’s:
✔ तिल या नारियल तेल से कर्णपूरण करें (डॉक्टर की सलाह से)
✔ Swimming के बाद कान सुखा लें
✔ Noise pollution से बचें
✔ हर 6 महीने में ear check-up करवाएं
✔ Mobile/earphones का सीमित प्रयोग करेंDon’ts:
✘ कान में safety pin, matchstick, या sharp चीजें न डालें
✘ गीले कानों में earbuds न लगाएं
✘ Self-medication से बचें
✘ Ear infection को नज़रअंदाज़ न करें
✘ लगातार earphones पहनने से बचें

संतुलित खानपान (Balanced Diet Tips)
- Vitamin A, C और E-rich foods – जैसे गाजर, आँवला, पालक
- Zinc-rich food – pumpkin seeds, दालें
- Omega-3 fatty acids – flax seeds, walnuts
- Hydration – पर्याप्त पानी पीना भी mucus control करता है
- Avoid – अधिक processed food और sugar
योग और प्राणायाम (Yoga & Pranayama)
- Bhramari Pranayama – कान, नाक और throat के health के लिए उत्तम
- Shunya Mudra – hearing loss में सहायक माना जाता है
- Sarvangasana – ENT क्षेत्रों में रक्त संचार सुधारता है
- Anulom-Vilom – कुल स्वास्थ्य में संतुलन लाता है
- Trataka – nervous system को calm करता है

निष्कर्ष (Conclusion)
- कानों की देखभाल उतनी ही जरूरी है जितनी शरीर के अन्य अंगों की। आयुर्वेदिक तेलों से कर्णपूरण, नस्य और योग के नियमित अभ्यास से कान स्वस्थ रहते हैं। आधुनिक विज्ञान कहता है कि self-cleaning सिस्टम को खराब न करें। संतुलित आहार और आवाज़ों से दूरी रखने से आप Ear Infections और Hearing Problems से बचे रह सकते हैं।