उदकवह व स्वेदवह स्रोतस विकार  :

सूर्याँशुघात-सूर्यसंताप (Sun Stroke- Heat Stroke)

सूर्याँशुघात, जिसे आधुनिक चिकित्सा में सन स्ट्रोक या हीट स्ट्रोक के नाम से जाना जाता है, एक गंभीर स्थिति है जो शरीर के अत्यधिक तापमान बढ़ने के कारण होती है, आमतौर पर लंबे समय तक तेज़ धूप के संपर्क में रहने के कारणI 

परिभाषा (Definition)

आयुर्वेद में इसे मुख्य रूप से ‘सूर्य संताप’ के नाम से जाना जाता हैI यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शरीर की गर्मी को नियंत्रित करने की प्राकृतिक क्षमता, जैसे पसीना आना और रक्त वाहिकाओं का फैलाव, उच्च तापमान और आर्द्रता के कारण बाधित हो जाती हैI 

Sun Stroke
  • कारण (Causes)
  • तेज गर्मी और आर्द्र मौसमI
  • डिहाइड्रेशन (पानी की कमी)I
  • गर्म मौसम में अत्यधिक शारीरिक परिश्रमI
  • भारी या गहरे रंग के कपड़े पहननाI
  • शराब का सेवनI 
  • कुछ दवाएं, जैसे अवसादरोधी दवाएंI
  • सम्प्राप्ति (Pathogenesis)

आयुर्वेद के अनुसार, सूर्य संताप में मुख्य रूप से पित्त दोष शामिल होता हैI जब शरीर अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आता है, तो पित्त दोष बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक प्यास (‘तृष्णा’), मुंह में कड़वा स्वाद, सिर में जलन, आंखों में पीलापन और गंभीर मामलों में बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैंI 

सूर्य संताप की संप्राप्ति को इस प्रकार समझा जा सकता है:

    1. अग्नि का मंद होना (Diminished Agni): अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने से शरीर की पाचन अग्नि (अग्नि) कमजोर हो जाती हैI
    2. पित्त दोष का बढ़ना (Aggravation of Pitta Dosha): शरीर की गर्मी को नियंत्रित करने की क्षमता कमजोर होने से पित्त दोष बढ़ता हैI
    3. रस और रक्त धातुओं का सूखना (Drying of Rasa and Rakta Dhatus): बढ़ा हुआ पित्त रस (प्लाज्मा) और रक्त (रक्त) धातुओं को सुखा देता है, जिससे निर्जलीकरण और शरीर के आंतरिक अंगों में असंतुलन होता हैI
    4. शरीर का अत्यधिक गर्म होना (Overheating of the Body): इन सभी कारकों के कारण शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ जाता हैI 
  • लक्षण (Symptoms)

मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • शरीर का तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ना 104°F (40°C) या उससे अधिक हो जानाI
  • अत्यधिक पसीना आना या कभी-कभी पसीना बिल्कुल न आनाI
  • त्वचा का लाल, गर्म और शुष्क हो जानाI
  • चक्कर आना और बेहोशी महसूस होनाI
  • सिरदर्द और मतली (उल्टी जैसा महसूस होना)I
  • दिल की धड़कन तेज होनाI
  • कमजोरी और थकावट महसूस होनाI
  • मानसिक भ्रम और बोलने में दिक्कत आनाI
  • मांसपेशियों में ऐंठन या कमजोरीI 
  • तेज नाड़ीI
  • तेज, उथली साँसेंI
  • शरीर का तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ना (आमतौर पर 104°F या 40°C से ऊपर)I 
  • निदान (Diagnosis)

चिकित्सक लक्षणों के आधार पर सन स्ट्रोक का निदान कर सकते हैंI शरीर के तापमान को मापना और न्यूरोलॉजिकल लक्षणों की जांच करना महत्वपूर्ण हैI 

  • आयुर्वेदिक सुझाव (Ayurvedic Tips)
  • ठंडी जगह पर जाएं: तत्काल रूप से छायादार और ठंडी जगह पर जाएंI
  • हाइड्रेटेड रहें: गर्मी में निर्जलीकरण से बचने के लिए दिन भर पानी और अन्य ठंडे पेय पदार्थ जैसे नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ, शरबत आदि पीते रहेंI  निर्जलीकरण की स्थिति में, चीनी और नमक मिला हुआ पानी खूब पिएंI
  • ठंडे कपड़े पहनें: हल्के, ढीले-ढाले हल्के रंग के सूती कपड़े पहनेंI धूप में निकलते समय छाता, टोपी या कॉटन स्कार्फ का इस्तेमाल करेंI
  • ठंडे स्नान या स्पंज करें: शरीर को ठंडा करने के लिए ठंडे पानी से स्नान करें या ठंडे पानी से स्पंज करेंI
  • एलोवेरा जेल का उपयोग करें: सनबर्न वाली त्वचा पर एलोवेरा जेल लगाने से ठंडक मिलती हैI
  • पुदीने का उपयोग करें: पुदीने का पानी या पुदीने की पत्तियां चबाना शरीर को ठंडा रखने में मदद कर सकता हैI
  • प्याज का सेवन: कच्चा प्याज या प्याज का रस लू से बचाव में सहायक होता हैI लू लगने पर पूरे शरीर पर प्याज का रस लगाना भी फायदेमंद माना जाता हैI
  • ठंडक प्रदान करने वाले पेय: धनिया और पुदीने का रस, सौंफ का पानी, कच्चे आम का पन्ना आदि गर्मी से राहत दिलाते हैंI
  • पित्त शांत करने वाले आहार का सेवन करें: आयुर्वेद के अनुसार पित्त को शांत करने वाले खाद्य पदार्थों जैसे खीरा, लौकी, कद्दू, धनिया, सौंफ, आदि का सेवन करेंI
  • ठंडा चंदन लेप: शरीर पर चंदन का लेप लगाने से गर्मी कम होती हैI
  • फल और सब्जियां: तरबूज, खरबूजा, खीरा, टमाटर आदि पानी युक्त फल और सब्जियों का सेवन करेंI
  • आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ: कुछ जड़ी-बूटियाँ जैसे गिलोय, चंदन, आंवला, धनिया, पुदीना आदि पित्त को शांत करने और शरीर को ठंडक प्रदान करने में मदद करती हैंI 
  • भारी और तले हुए भोजन से बचें: गर्मी के दौरान भारी और तले हुए भोजन का सेवन न करेंI
  • प्राणायाम का अभ्यास करें: सूर्यभेदी प्राणायाम जैसे कुछ प्राणायाम शरीर को शांत करने में मदद कर सकते हैंI
  • आवश्यकता होने पर चिकित्सा सलाह लें: गंभीर लक्षणों की स्थिति में तत्काल चिकित्सा सहायता लेंI 
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
क्या सन स्ट्रोक जानलेवा हो सकता है? 
  • हाँ, यदि इसका तुरंत इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा हो सकता हैI
सन स्ट्रोक और हीट वेव में क्या अंतर है? 

हीट वेव मौसम में हुए बदलाव की वजह से चलती है, जबकि सन स्ट्रोक शरीर के बढ़े हुए तापमान की वजह से होता हैI

आयुर्वेद में सन स्ट्रोक को क्या कहते हैं? 
  • आयुर्वेद में इसे ‘सूर्य संताप’ कहते हैंI 
  • अस्वीकरण (Disclaimer)
  • यह जानकारी आयुर्वेद के ग्रंथों व पत्रपत्रिकाओं पर आधारित है व केवल शैक्षिक उद्देश्यों व जनजागरूकता के लिए है। किसी भी रोग के निदान और उपचार के लिए कृपया एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। आप drdixitayurved.com या मोबाईल नंबर 9079923020 पर ऑनलाइन अनुभवी सलाह व परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।
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